पिरामिड- एक रहस्य
माना कि आधुनिक जगत को अपनी technology, नई खोज, और आसमान को चूमती इमारतों पर नाज है और होना भी चाहिए। पर इसका ये मतलब बिलकुल नही निकलना चाहिए कि पुराने समय मे किसी को इस विद्या कि जानकारी नहीं थी।बल्कि सच तो ये है कि पुरातन काल मे विज्ञान और तकनीक कि एक विशिष्ट धारा थी जीसमे न केवल वस्तुओ का आश्चर्यजनक ढंग से बदलाव होता था,बल्कि साथ ही मानव और पर्यावरण जैसी कई कड़िया जुड़ी होती थी। वो ऐसा विज्ञान था जिसकी दिशा-धारा को आज तक नहीं समझा जा सका। इसी का एक उदाहरण है मिस्र कि राजधानी काहिरा के बहिरी इलाके गिजा के पठारी सतह पर स्थित गिजा का पिरामिड __
पूरे दुनिया को अपनी perfect alignment और आंतरिक संरचना से हैरान कर देने वाला यह पिरामिड अपने-आप मे एक रहस्य है, जिसने दुनिया के सभी वैज्ञानिको के नींद उड़ा रखी है।
पुरातत्व ज्ञाताओ की माने तो____
लगभग 4500 साल पहले, दूसरे फेरो के शासन कल मे राजा खुफू के द्वारा इस विशालकाय पिरामिड को बनवाया गया था। इसे बनाने मे 23 लाख lime stone लगाए गए है जिसमे एक-एक stone का वजन 2.5 टन से 70 टन के करीब है। और इसकी उचाई 480 फुट है और इसका आधार 55000 वर्ग फुट है।
पर, हैरान कर देने वाली बात यह है कि, 4500 साल पहले जब technology इतनी एडवांस नहीं थी, तब
इतने विशालकाय पिरामिड को बनाया कैसे गया होगा?
बिना सीमेंट और गाड़े के इसे सजाया कैसे गया होगा?
आखिर पत्थर के 23 लाख टुकड़ो को तरासा किसने होगा?
इतने भारी वजनी stone को 480 फुट कि उचाई तक उठाया किसने होगा?
आखिर मिस्र के राजाओ ने इसे बनवाया क्यूँ होगा?
आखिर फेरी राजाओ ने इस पिरामिड मे छुपाया क्या होगा?
आखिर ये कैसी पहेली है जो आज तक सुलझ ही न सकी?
ऐसे बहुत सारे सवाल गिजा के इस पिरामिड से निकालकर सामने आते है जो आधुनिक technology को आज भी चुनौती देते है।
अब तक के शोध बताते है कि मिस्र मे शवो को जलाने कि परंपरा नहीं थी, उन्हे दफना दिया जाता था। उस समय मिस्र मे जिस धर्म का चलन था उसमे पुर्नजन्म को मानने कि आस्था थी।
शायद इसीलिए मिस्र मे राजाओ के शवो को ममी बनाने का चलन शुरू हुआ होगा, और उस ममी को सुरक्षित रखने के लिए पिरामिड कि जरूरत महसूस हुई होगी।
पर, सवाल यह उठता है कि अगर ये पिरामिड सिर्फ राजाओ के ममिज को दफनाने कि जगह थी, तो इसमे अनगिनत चेम्बर क्यू है? चेम्बर के अंदर पाये जाने वाले साफ्ट आसमान कि ओर ही क्यूँ खुलते है? आखिर इस पिरामिड मे कोई रास्ता क्यूँ नहीं मिलता? पिरामिड के अंदर तापमान 20 डिग्री सेल्सियस पर नियंत्रित क्यूँ रहता है?
इन तमाम सवालो से पर्दा उठाने कि संजीदा कोशिस जून 1993 से शुरू हुई। और जैसे-जैसे ये कोशिस आगे बढ़ती गई कुछ हैरान कर देने वाले प्रमाण सामने आते गए।
डा॰ लिबियों सी स्टेजनी के अनुसार मिस्र के लोग ईसा से 2500 साल पहले भी आधुनिक टेलिस्कोप और क्रोनोमीटर से भली-भाति परिचित थे। उन्होने पिरामिड के निर्माण मे उच्च स्तरीय वैज्ञानिक यंत्रो का इस्तेमाल किया था। यह इस बात से प्रमाणित भी होता है कि पिरामिड कि चोटी ध्रुव और परिधि भूमध्य रेखा कि जैसी है। इसके त्रिभुजाकार दीवारों का जब वैज्ञानिक परीक्षण किया गया तो इनके कई आयामो मे एक खास गणितीय स्थिरांक पाया गया जो मानवीय जीवन मे विकार को दूर करके सौन्दर्य और आकर्षण उत्पन्न करता है।
मिस्र के इन पिरामिडो के निर्माण मे कई ऐसे खगोलीय आधार भी पाये गए जैसे तीनों पिरामिड का ओरिएंट बेल्ट के तीन तारो के साथ sink होना। और इन पिरामिडो का पूरे विश्व को बीचों-बीच विभाजित करने वाली रेखा पे स्थित होना । ऐसे कुछ और भी प्रमाण थे जिसे देखते हुए प्रसिद्ध खगोल ज्ञाता प्रोक्टर ने कहा कि__
मिस्र के इन पिरामिडो का उपयोग ग्रह और नक्षत्रो के अध्ययन के लिए प्रयोगशालाओ के रूप मे किया जाता होगा। उनका ये भी मानना था की गिजा के पिरामिड निखिल ब्रह्माण्ड का एक छोटा-सा हिस्सा है।
नोवेल पुरस्कार विजेता डा॰ लुईस अलवारिज के अनुसार, पिरामिड की संरचना ऐसे हुई है कि उसकी अंदर कि खुली हुई जगहो पर हर समय electro magnetic ऊर्जा उत्पन्न होती है।
और भी ऐसे कई वैज्ञानिक है जिनके कई प्रामाणिक प्रयोग और अपने विचार है, जो यह साफ-साफ दर्शाते है कि पिरामिड सिर्फ फेरी शासको को दफनाने के लिए नहीं बने थे। बल्कि इसके पीछे का मकसद हमारी सोच से कही ज्यादा रहस्ययी और वैज्ञानिक था।
और इस बात से भी मुह नहीं फेरा जा सकता कि मिस्र के पिरामिड अपने-आप मे एक ऐसी पहेली है जिसके हर परत को खोल पाना लगभग नामुकिन है। । ।
good job
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