झाँसी का किला-Fort Of Jhansi

झाँसी का किला-A Historical Place In India

परिचय

भारत के इतिहास मे जब भी जंग-ए-आजादी का जिक्र होगा,झाँसी के किले को सबसे पहले याद किया जाएगा।
jhansi fort,rani lakshmibai


उत्तरप्रदेश मे झाँसी जिले मे शहर के बीचों-बीच बंगरा पहाड़ी पर लगभग 21 वर्ग किमी मे फैला यह किला 1857 की  क्रांति के अध्याय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस किले का निर्माण ओरछा के राजा बीर सिंह देव ने 1613 ई॰ मे करवाया था।
25 सालो तक यहा बुंदेल राजाओ ने राज था। उसके बाद मुगलो फिर मराठा और बाद मे अंग्रेज़ो ने यहा राज किया।

झाँसी का किला अपनी विशेष बनावट के लिए भी जाना जाता है। किले मे 22 बुर्ज है, और दो तरफ खाई है। किले में प्रवेश के लिए 10 दरवाजे हैं, इन दरवाजों को खन्देरो, दतिया, उन्नाव, झरना, लक्ष्मी, सागर, ओरछा, सैनवर और चांद दरवाजों के नाम से जाना जाता है। मोटी ग्रेनाइट पत्थरो की दीवारों पर घुरसवारों और तोपचियों की तुकरिया किले के चरो तरफ नजर बनाए रखती थी।
 किले में रानी झांसी गार्डन, व खुदा बक्श की मजार देखी जा सकती है। और इसके अलावा मराठा वास्तुकला से बने शिव मंदिर और गणेश मंदिर भी है जो अति प्रसंशनीय है। यह किला प्राचीन वैभव और पराक्रम का जीता-जागता दस्तावेज है।

इतिहास-History Of Jhansi

1803 में ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा के बीच एक संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे।
शिव राव की मृत्यु के बाद उनके बड़े पुत्र रामचंद्र राव को झांसी का सूबेदार बनाया गया। वह एक अच्छा प्रशासक नहीं था | रामचंद्र राव की मृत्यु सन‍‍् 1835 में हुई। उनकी मृत्यु के बाद रघुनाथ राव (III) उनके उत्तराधिकारी बने। सन‍‍् 1838 में रघुनाथ राव (III) की भी मृत्यु हो गई | अंग्रेज शासकों ने गंगाधर राव को झांसी के राजा के रूप में स्वीकार किया। रघुनाथ राव (III) की अवधि के दौरान अकुशल प्रशासन के कारण झांसी की वित्तीय स्थिति बहुत खराब हो चुकी थी ।
राजा गंगाधर राव एक बहुत अच्छे प्रशासक थे। वह बहुत उदार और सहानुभूतिपूर्ण थे। उन्होंने झांसी को बहुत अच्छा प्रशासन दिया |


damodar raw,rani lakshmi baiसन् 1842 में झाँसी के राजा गंगाधर राव नेवालकर का विवाह मानिकर्णिका के साथ हुआ। जिनहे विवाह के बाद लक्ष्मीबाई के नाम से जाना जाने लगा। सन् 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम दामोदर राव रखा गया। 
 परन्तु चार महीने की उम्र में ही उसकी मृत्यु हो गयी। पुत्र की मृत्यु के बाद राजा गंगाधर राव का खराब रहने लगा। लेकिन सन् 1853 में राजा का स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उनके सलहकारो ने उन्हें एक पुत्र गोद लेने की सलाह दी। सलहकारो के कहने पर गंगाधर राव ने  अपने छोटे भाई के पुत्र को गोद लेकर आनंद राव को झाँसी का उतराधिकारी घोषित कर दिया और निर्देश दिया की बच्चे के साथ अनुचित व्यवहार ना किया जाय।
नवंबर 1853 मे राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गई। उसके बाद ब्रिटिश खेमे मे लालच दौर पड़ी। और झाँसी को हथियाने के लिए साजिश रची गई।
ब्रिटिश अफसर डलहौजी ने अपनी राज्य हड़प नीति लागू कर  के बालक दामोदर राव के ख़िलाफ़ अदालत में मुक़दमा दायर कियाजिससे अदालत द्वारा उसके उतराधिकारी होने के प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया गया। और किले को उसके उतराधिकार क्षेत्र से अलग कर दिया गया।
लेकिन इस फरमान को रानी लक्ष्मीबाई ने बीच सभा मे फारते हुए कहा की मैं अपनी झाँसी कभी नहीं दूँगी।
मार्च, 1854 मे रानी लक्ष्मीबाई को सालाना 60000 रु॰ पेंशन की सर्त पर महल और किले को छोडने के लिए आदेश जारी किया गया। पर रानी लक्ष्मीबाई ने इस सर्त को अस्वीकार कर दिया।
बाद मे 1857 की क्रांति मे रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी के सेना का नेतृत्व किया । रानी और झाँसी की प्रजा ने प्रतिज्ञा ली की आखरी सांस तक किले की रक्षा करेंगे।

अँग्रेजी हुकूमत लगातार 8 दिन तक किले पर गोले बरसाती रही
, पर न किला जीत सकी झाँसी।
बाद मे किले के ही एक विश्वासघात ने छल से किले का दक्षणी दरवाजा खोल दिया।
8 अप्रैल 1858 को लगभग 20000 अँग्रेजी सिपाही किले मे घुस गए और मार-काट, और लूट-पाट शुरू कर दिया। झाँसी की छोटी सेना ने डटकर उस बड़ी सेना का मुक़ाबला किया।

बाद मे रानी लक्ष्मीबाई कुछ बिश्वासपात्र लोगो के साथ कल्पी के लिए निकाल गयी। इसके दौरान उनके एक पैर मे गोली भी लगी पर वो हर नही मानी। स्वतंत्रता की उस भीषण लड़ाई मे रानी सहिद तो हो गई लेकिन आज भी किले की दिवारे चीख-चीख कर ये कहती है की-


बुंदेले हर बोलो के मुह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


jhansi,jhansi ki rani

पर्यटक स्थल-Tourist place

रानी महल


रानी लक्ष्मीबाई  के इस महल की दीवारों और छतों को अनेक रंगों और चित्रकारियों से सजाया गया है। वर्तमान में किले को संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। यहां नौवीं से बारहवीं शताब्दी की प्राचीन मूर्तियों का विस्तृत संग्रह देखा जा सकता है। महल की देखरख भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा की जाती है।

झांसी संग्रहालय


झांसी किले में स्थित यह संग्रहालय इतिहास में रूचि रखने वाले पर्यटकों का मनपसंद स्थान है। यह संग्रहालय केवल झांसी की ऐतिहासिक धरोहर को ही नहीं अपितु सम्पूर्ण बुन्देलखण्ड की झलक प्रस्तुत करता है। यहां चन्देल शासकों के जीवन से संबंधित अनेक जानकारियां हासिल की जा सकती हैं। चन्देल काल के अनेक हथियारों, मूर्तियों, वस्त्रों और तस्वीरों को यहां देखा जा सकता है।

महालक्ष्मी मंदिर


झाँसी के राजपरिवार के सदस्य पहले श्री गणेश मंदिर जाते थे जहा पर रानी मणिकर्णिका और श्रीमंत गंगाधर राव नेवालकर की शादी हुई फिर इस महालक्ष्मी मंदिर जाते थे। 18 वीं शताब्दी में बना यह भव्य मंदिर देवी महालक्ष्मी को समर्पित है। यह मंदिर लक्ष्मी दरवाजे के निकट स्थित है।यह देवी आज भी झाँसी के लोगो की कुलदेवी है क्योंकि आदी अनादि काल से यह प्रथा रही है कि जो राज परिवार के कुलदेवी और कुलदैवत होते है वही उस नगरवासियों के कुलदैवत होते है तो झाँसी वालो के मुख्य अराध्य देव गणेशजी और आराध्य देवी महालक्ष्मी देवी है। झाँसी के राजपरिवार के ये कुल देवता है।

गणेश मंदिर 


भगवान गणेश को समर्पित इस मंदिर में महाराज गंगाधर राव और वीरांगना लक्ष्मीबाई का विवाह हुआ था। यह भगवान गणेश का प्राचीन मंदिर है। जहा हर बुधवार को सैकड़ो भक्त दर्शन का लाभ लेते है। यहाँ पर प्रत्येक माह की गणेश चतुर्थी को प्रातः काल और सायं काल अभिषेक होता है। साधारणतः यहाँ सायं काल के अभिषेक में बहुत भीड़ होती है। ऐसी मान्यता है कि इस गणेश मूर्ति के इक्कीस दिन इक्कीस परिक्रमा लगाने से अप्रत्यक्ष लाभ होता है और मनोकामनाये पूर्ण होती है। 


झांसी के नजदीकी पर्यटन स्थलों में ओरछा, बरूआ सागर, शिवपुरी, दतिया, ग्वालियर, खजुराहो, महोबा, टोड़ी फतेहपुर, आदि भी दर्शनीय स्थल हैं। 



SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment

Popular Posts